All Post - Daily Wellness - General Health

एसिडिटी क्या है और ये क्यों होती है इसके कारण ,लक्षण और उपचार

एसिडिटी, जिसे अम्लपित्त भी कहते है, इसमें पेट में एसिड बनने लगता है। यह आमतौर पर खराब खान-पान की, अनियमित जीवनशैली और तनाव के कारण होता है। इसमें हम एसिडिटी के मुख्य कारणों और लक्षणों को समझेंगे और साथ ही इसके सरल और प्रभावी उपचार के बारे में भी जानेंगे।

एसिडिटी होने के कारण

1. ज्यादा कैफीन और अल्कोहल का सेवन कैफीन और अल्कोहल पेट में एसिड के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। कॉफी, चाय, और अल्कोहल पेय, जिनमें उच्च मात्रा में कैफीन होती है, पेट की अंदरूनी परत पर असर डालते हैं और गैस्ट्रिक एसिड के स्राव को भी बढ़ाते हैं। यह पेय पदार्थ लोअर एसोफेगल स्फिंक्टर की टोन को कम कर सकते हैं, जिससे एसिड रिफ्लक्स होता है। इसके अलावा, अल्कोहल लिवर और पाचन तंत्र को भी प्रभावित करता है, जिससे एसिडिटी की समस्या और अधिक बढ़ जाती है।

2. धूम्रपान से निकोटीन का सेवन पाचन तंत्र की क्रियाशीलता पर प्रभाव डालता है, जिससे पेट में एसिड का स्तर बढ़ता है। सिगरेट में मौजूद निकोटीन पेट के गैस्ट्रिक म्यूकोसा को उत्तेजित करता है, जिससे एसिड सिक्रीशन बढ़ता है और लोअर एसोफेगल स्फिंक्टर की टोन कमजोर पड़ती है। इससे एसिड रिफ्लक्स और एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है। धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में अक्सर एसिडिटी और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो जाती हैं। धूम्रपान छोड़ने से न केवल एसिडिटी में राहत मिलती है, बल्कि स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।

3 . तनाव एसिडिटी को बढ़ाने एक प्रमुख कारन है। जब हम तनाव में होते हैं, हमारा शरीर एड्रेनालिन और कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन्स का उत्पादन करता है, जिससे पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है और गैस्ट्रिक एसिड का स्राव बढ़ जाता है। इसके अलावा, तनाव के कारण खाने की आदतें भी प्रभावित होती हैं, जैसे कि अधिक खाना या अस्वास्थ्यकर खाना खाना, जो एसिडिटी को और बढ़ाता है। तनाव को कम करने के लिए ध्यान, योग, और अन्य विश्राम तकनीकें अपनाने से एसिडिटी की समस्या में कमी आ सकती है।

एसिडिटी के लक्षण

  • पेट के ऊपरी हिस्से में जलन और दर्द महसूस होना।
  • गले में जलन और बार-बार खट्टी डकार।
  • सीने में भारीपन और जलन, जिसे हार्टबर्न कहते हैं।
  • खाने के बाद पेट फूलना और असहज महसूस होना।

एसिडिटी के उपचार

1. आहार

एसिडिटी को रोकने के लिए आहार में सुधार करना सबसे महत्वपूर्ण है। मसालेदार और तली हुई चीजें जैसे कि समोसा, पकोड़ी आदि का सेवन कम करना चाहिए क्योंकि ये चीजें पेट में एसिड के स्तर को बढ़ाती हैं। इसके बजाय, साबुत अनाज जैसे जौ, ओट्स और ब्राउन राइस; ताजे फल जैसे कि सेब, केला, और पपीता; और हरी सब्जियाँ जैसे कि पालक, केल और ब्रोकोली को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। ये खाद्य पदार्थ न केवल पेट को शांत करते हैं बल्कि पाचन में भी सहायक होते हैं। फाइबर युक्त आहार पाचन को नियमित रखने में मदद करता है और एसिडिटी को कम करते है।

2. नियमित भोजन

नियमित भोजन का समय निर्धारित करना और रात का खाना सोने से कम से कम तीन घंटे पहले करना एसिडिटी को कम करने के लिए जरूरी है। यह प्रक्रिया पेट को पर्याप्त समय देती है ताकि वह भोजन को पचा सके और एसिड का स्तर स्थिर रहे। अगर खाना खाने के तुरंत बाद सो जाते हैं, तो यह पेट में एसिड के बढ़ने और उसके एसिडिटी होने का कारण बन सकता है, जिससे एसिड रिफ्लक्स हो सकता है।

3. धूम्रपान और अल्कोहल से परहेज

धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन कम करना या बंद करना एसिडिटी को काफी हद तक नियंत्रित कर सकता है। निकोटीन और अल्कोहल दोनों ही पेट के अंदर एसिड के उत्पादन को बढ़ाते हैं और एसोफेगल स्फिंक्टर की क्षमता को कमजोर करते हैं, जिससे एसिडिटी और रिफ्लक्स की समस्या बढ़ जाती है।

4. तनाव

तनाव को प्रबंधित करने के लिए योग और ध्यान जैसी गतिविधियां बहुत महत्वपूर्ण हैं। नियमित रूप से योग करना और ध्यान करना शरीर और मन दोनों को शांत करता है, जिससे तनाव से मुक्ति मिलती है। तनाव का प्रबंधन करने से पेट में एसिड के उत्पादन पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है और एसिडिटी से राहत मिलती है |

If you have any queries related to medical health, consult Subhash Goyal or his team members on this given no +91 88008 25789, +91 99150 99575, +918283060000

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *